पैसिव स्मोकिंग या सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी उतना ही नुकसानदायक है जितना नुकसान धुम्रपान करने वाले को होती है। बच्चे में यह समस्या गंभीर इस वजह से हो जाती है क्योंकि वह बड़े हो रहे होते हैं और उनके सांस लेने की गति भी व्यस्कों से ज्यादा होती है।
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