इस आसन को बद्धकोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन को करते वक्त एक कोण बनता है। इस आसन के दौरान पैरों को तेज गति में हिलाया जाता है और वह तितली के पंखों जैसे प्रतीत होते हैं। इसलिए इस आसन को तितली आसन भी कहा जाता है।
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