औरतों में माहवारी एक बुनियादी अमल है। यही क़ुदरती अमल उसे समाज में औरत का दर्जा दिलाता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इंसानी कायनात का दारोमदार इसी पर टिका है। माहवारी से पहले और उसके दौरान महिला की अपने शरीर और ख़ुद से लड़ाई चलती रहती है।
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