लॉकडाउन में या आइसोलेशन में रह रहे लोग अपनी तुलना संन्यासियों के जीवन से कर सकते हैं। महामारी में मोबाइल और इंटरनेट ने संपर्क के तमाम रास्ते मुहैया करा रखे हैं, फिर भी हमारे घरों में पहाड़ पर बनी कुटिया जैसे एकांत का अहसास हो सकता है।
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