लड़कियां जब घर से अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए निकलीं तो ज्यादातर मौकों पर 'भागी हुई लड़कियां' कहलाईं। 'भागी हुई लड़कियां' कवि आलोकधन्वा की कविता भी है। जिसके लिखे जाने से पहले और लिखे जाने के बाद न जाने कितनी ही लड़कियां भागी हैं।
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