Sunday 16 June 2019

मंद आंच पर घंटों पकने के बाद बनता है 'कोशा मांग्शो', परोसने से पहले मिलाया जाता है घी

कोलकाता के लगभग सौ साल पुराने ‘गोलबाड़ी’ नामक रेस्तरां की ख्याति उसके जायकेदार  ‘कोशा मांग्शो’ पर ही टिकी है। हम यह मान कर चलते हैं कि बंगाली बंधु या तो मच्छी भात खाते हैं या मिष्टी। बाकी साग-सब्जी, दाल या मुर्गी मांस के लिए उनकी जुबान नहीं मचलती।

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