कोलकाता के लगभग सौ साल पुराने ‘गोलबाड़ी’ नामक रेस्तरां की ख्याति उसके जायकेदार ‘कोशा मांग्शो’ पर ही टिकी है। हम यह मान कर चलते हैं कि बंगाली बंधु या तो मच्छी भात खाते हैं या मिष्टी। बाकी साग-सब्जी, दाल या मुर्गी मांस के लिए उनकी जुबान नहीं मचलती।
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