रात के करीब साढ़े ग्यारह बज रहे थे और मकान मालिक शराब पीकर कमरे में आ धमका। चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ और आंखें नशे में लाल थी। उसने मुझे फौरन कमरा छोड़ने का फरमान सुना दिया। वह गंदी-गंदी गालियां दे रहा था और मेरे सामान पर लात मारे जा रहा था।
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